Childhood Memories | बचपन के दोस्त , बचपन जिगरी दोस्त , बचपन के किस्से , बचपन की यादे |
हेलो दोस्तों,
आज में आपको मेरे लाइफ की स्टोरी बताने वाला हु जहासे मैंने बहुत चीजे अनुभव की और उसमेसे बहुत कुछ सीखने को मिला। तो मेरी जीवन की शुरुवात होती है करीब २५ साल पहले जब मेरा जन्म हुवा। में एक मिडिल क्लास परिवार से हु जो की गांव से आता है जहापे हर चीज मिलने में थोड़ी परिशानी हो जाती है या फिर कही बार जो चाहिए शायद से वो ना मिले । तो में ५ साल का होने तक तो बचपन में ही गुजर गया तो तब कुछ चीजे समज आती थी और कुछ नहीं । तो ५ साल के बाद जब स्कूल में जाने का वक्त आया तो सब सोचने लगे की अब स्कूल क्या करे क्यूकी ये बड़ा सवाल था | इसका कारण हमारा गांव..
मेरा गांव बहुत दूर था घर से हम खेत में रहते थे और हर रोज छोड़ना और फिर से स्कूल से लेके आना संभव नहीं था क्युकी घर वालो को खेत के काम रहते थे | वो वक्त यैसा था की बहुत बारिश होती थी | ज्यादा तर खेत में गन्ना था और उसे लेके मार्किट को जाना पड़ता था | लेकिन एक बात है की हर चीज का कुछ न कुछ तो हल निकल के आता है |
सब लोग सोचने लगे स्कूल का क्या करे तो सबके सोचने ने बाद सब ने निस्चय किता की मेहमान के घर स्कूल में डाला जाये जो की फूफा का घर था वो लोग गांव में रहते थे और स्कूल भी नजदीक था तो वहासे स्कूल आना जाना बहुत ही आसान था तो फिर मेरी दादी मेरेको लेके गयी फूफा के घर स्कूल में डालने के लिए तो फिर एक ट्विस्ट आया |
हर जगह पे स्कूल का नियम होता है ६ साल के ऊपर के बच्चे को पहली क्लास में दाखिला देते है उसके निचे के नहीं तो उसे बालवाड़ी कक्षा में बिठाते है | लेकिन तब लोग ज्यादा यी हुशियार थे तो मेरे दादिने बोला की इसकी उम्र १ साल ज्यादा डाल्दो लेकिन इसे पहली कक्षा में ही डालो ताकि अच्छा से पढाई वो सके | तो फिर पहली कक्षा में दाखिला हो गया और हर दिन में स्कूल जाने लगा कुछ दोस्त भी मिले जो अच्छे थे लिकिन फिर भी घर की याद आती थी तो फिर मिला एक जिगरी दोस्त जो हर वक्त मेरे ही साथ रहता था उसका नाम था राजू | किधर भी जाना हो हम लोग साथ में जाते थे अगर कुछ खरीद्लिये खाने को तो वो आधा आधा बाटके खाते थे |
जादा तर पैसे उसके पास ही रहते थे क्युकी उसके दादाजी सरपंच थे घर पे अच्छा था तो उसके दादाजी हर दिन गांव में ही बैठे रहते थे कुछ लोगो के साथ तो वो हर दिन पैसे लेता था दादाजी से और फिर हम लोग आधा आधा मिलके खाते थे | एक बात है जो की में कहना चाहूंगा की जिंदगी में बहुत लोग और दोस्त मिल जाते है लेकिंन कभी कोई किसीको अपनी जेब से पैसा नहीं खर्च करता लेकिन उसने वो किया और मुझे जरूत पड़ी तो मदत भी की और हर वक्त साथ रहा दुःख में भी और सुख में भी |
ऐसे करके मेरे ४ साल गुजर गए ४ थी कक्षा तक उन ४ सालो में बहुत कुछ सीखा और अपने पढाई में सफलता भी पायी बाद में मुझे कुछ स्कालरशिप मिलने वाली थी अगर में ५ वि कक्षा तक रुकता तो लेकिन घर वालो से नहीं सुना तो फिर मुझे अपने घर आना पड़ा तो यही है मेरी कहानी १० साल तक तो चलो मिलते है अगले ब्लॉग में उसके आगेकी की कहानी के साथ |
--------------------------------------आप लोगोका तह दिल से शुक्रिया --------------------------------------
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