School Memories | स्कूल का सफर, स्कूल की यादे, स्कूल के शिक्षक, स्कूल के दोस्त |

 हेलो दोस्तों,

तो दोस्तों आज में आपको मेरे स्कूल जीवन के बारे में बताने वाले हु की कैसे मेरा स्कूल पूर्ण हुवा और क्या चीजे मैंने फेस की तो चलो शुरू करते है|


    मैं जब पांचवी कक्षा में था तो मुझसे बहुत दूर से आना जाना पड़ता था | मैं साइकिल से आना-जाना करता था साइकिल से आने-जाने में तकलीफ तो होती थी, लेकिन क्या करे जाने के लिए वही विकल्प था, इसलिए साइकिल चलानी पड़ती थी | हम पहाड़ के पास रहते थे और गाँव निचे की तरफ होने के कारण साइकिल चलाने में तकलीफ होती थी, क्योंकि चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी | 

    हमारे जानवर चरने के लिए पहाड़ी पर जाया करते थे तो जब स्कूल से घर आते थे, तो फिर से पहाड़ी पर जाना पड़ता था ताकि जानवरों को वापस ला सके तो जानवरों को लाने तक शाम हो जाती थी | उसके बाद फिर चार पानी गाय का दूध निकालना यह सब काम होता था| उसके बाद फिर टाइम मिलने के बाद पढ़ाई करने बैठते थे | फिर सुबह उठना फिर स्कूल जाना और फिर यह सब रूटीन फिर से चालू होता था | 

    हमारा स्कूल का पैटर्न कुछ ऐसा था कि दो डिवीजन थी जो की एक इंग्लिश मीडियम और मराठी मीडियम थी तो इंग्लिश मीडियम तो सिर्फ नाम के लिए था वहां पर ज्यादा कुछ इंग्लिश में पढ़ाया नहीं जाता था और हमें भी कुछ इतना इंग्लिश समझने में दिक्कत होती थी | स्कूल में मैं ऐसा था कि कभी दंगा मस्ती नहीं करता था एकदम शांत रहता था कभी किसी के साथ झगड़ा नहीं बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था | आसान भाषा में कहे तो हर वक्त बड़ा सीरियस रहता था | 

    ऐसे ही करके 3 साल निकल गए और फिर मैं जब आठवीं कक्षा में गया तो फिर मेरे बहन मेरे स्कूल में  पांचवी कक्षा में आ गई | मेरे बहन और भाइयों में से सबसे बड़ा मैं ही हूं | तो एक प्रकार से जिम्मेदारी भी रहती है कि अपने को कुछ ना कुछ करना पड़ेगा तो ही सब का करियर अच्छे से बनेगा | जब दोनों स्कूल में जाते थे तो मेरी बहन भी साइकिल पर मेरे साथ आया जाया करती थी उसको भी उसकी एक साइकिल दी थी क्योंकि दूसरा कुछ चारा नहीं था|

     तो उसने भी पूरा स्कूल होने तक जाने आना साइकल पे किया मेरी बहन ने और मैंने और 3 साल यानि की मेरी  दसवीं तक साथ में पढ़ाई की और उसके बाद फिर मेरी स्कूल का कार्यकाल खत्म हुआ | यह जो मैंने 6 साल की पढाई की उसमें बहुत कुछ सीखा बहुत कुछ जाना लाइफ के बारे में यह जो मेरा कार्यकाल था पहले कक्षा से दसवीं कक्षा तक का इसमें हर मोड़ पर मुझे अच्छे शिक्षक मिले जिन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया और उनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो कि मुझे आज भी पहचानते हैं और मुझे याद करते और मैं अभी भी उन लोगो से मिलता हु जब भी वक्त मिले | तो दोस्तों यही सब है मेरी जीवन की कहानी |

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